तुम्हारा इस तरह आबाद होना।

मुबारक़ हो मेरा बरबाद होना।।

किसे फुरसत है अब माज़ी में झाँकें

तुम्हें भी याद हो कि याद हो ना।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है