मेरे आगोश में आकर तो देखो।
कभी मुझसे मुझे पाकर तो देखो।।
अदूँ होकर ज़हां अपना लगेगा
मुहब्बत पे यक़ीं लाकर तो देखो।।
ये दुनिया इतनी अच्छी भी नहीं है
मेरे दिल से ज़रा जाकर तो देखो।।
मुहब्बत के ख़ज़ानों से भरे हैं
मेरे खाते मेरे लॉकर तो देखो।।
जुबां शीरी शहद से होठ होंगे
मुझे गीतों में तुम गाकर तो देखो।।
मुहब्बत का समर मीठा तो होगा
तनिक कड़वा भी है खाकर तो देखो।।
तुम्हारे झूठ पर भी मर मिटेगा
किसी मुफ़लिस को फुसला कर तो देखो।।
सुरेश साहनी, अदीब
कानपुर
Comments
Post a Comment