वक्त की आदत बुरी है
जब ज़रूरत नहीं
तब काटने दौड़ता है
जब ज़रूरत होती है
तब छोड़कर भागता है
एक दिन अपना वक्त आएगा
उम्र भर उसका इन्तेज़ार रहा
जिसने बोला था वक्त उसका है
वक्त उसका भी साथ छोड़ गया
सिर्फ आदम थे और हौव्वा थी
और दुनिया भी खूबसूरत थी
इक ज़रा सा गुनाह था उनका
और कितनी बिगड़ गयी दुनिया
Comments
Post a Comment