वारिसों का किस्मतों का ज़िक्र हो।
हासिलों का दौलतों का ज़िक्र हो।।
ज़िक्र हो फिर हौसलों के साथ में
कोशिशों का मेहनतों का ज़िक्र हो।।
तज़किरे हो कुछ तुम्हारे हुस्न के
कुछ हमारी उल्फ़तों का ज़िक्र हो।।
जब ख़ुदा की रहमतों की बात हो
तब कुदरती नेमतों का ज़िक्र हो।।
ज़िक्र क्या करना किसी ज़रदार का
कुछ फ़क़ीरी अज़्मतों का ज़िक्र हो।।
Suresh sahani, adeeb
Comments
Post a Comment