इश्क़ की अलगनी गज़ब की है।
आज कुछ चाँदनी गज़ब की है।।
नूर मेहमाँ है आज मेरे घर
हर तरफ रोशनी गज़ब की है।।
आज हैं धड़कने भी द्रुत लय में
स्वास की रागिनी गज़ब की है।।
एक गुल और चार सू भौंरें
हुस्न में चाशनी गजब की है।।
इक क़मर की कमर सुभान अल्लाह
उस पे ये करधनी गज़ब की है।।
उस तरफ है अजब सी ख़ामोशी
इस तरफ सनसनी गज़ब की है।।
आप पर है मेरी ग़ज़ल यारब
कुछ भी कहिए बनी गज़ब की है।।
उनकी नज़रें कटार है जैसे
शोखियों की अनी गज़ब की है।।
कल थी नज़रें झुकी झुकी जिनकी
भौह उनकी तनी गज़ब की है।।
हुस्न अब जान लेके मानेगा
इश्क़ से जो ठनी गज़ब की है।।
सुरेश साहनी कानपुर
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