मैं जैसा होता हूँ वैसा रहता हूँ।

लोग कहा करते हैं सुनता रहता हूँ।।

दुनिया क्या कहती है गौर नहीं करता

मैं अक्सर खुद में ही खोया रहता हूँ।।

दुनिया जैसे घड़ी और में सूई हूँ

टिक टिक टिक टिक करके चलता रहता हूँ।।

घर की ईंटें तक मुझसे बतियाती हैं

लोग समझते हैं मैं तन्हा रहता हूँ।।

Suresh Sahani KANPUR

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है