खुश हैं वो सर के निगूँ होने पर।
मेरे जज़्बात का खूं होने पर।।
फायदा क्या जो मेहरबां होंगे
खत्म सब जोशो-जुनूँ होने पर।।
जो दिखाते हैं कि तस्कीन में हैं
खुश तो दिखते वो सुकूँ होने पर।।
सुन के अगियार-ओ-हबीब हँसते हैं
हादसा किससे कहूँ होने पर।।
हमने हर बात छुपाई लेकिन
खुल गयी ज़ख्म नमू होने पर।।
कौन से दर्द नहीं बोलेंगे
दर्द कैसे न कहूँ होने पर।।
सरनिगूँ/ पराजय
जोश-ओ-जुनूँ / उत्साह और उन्माद
नमू/प्रगटीकरण
सुकूँ/ सन्तुष्टि
अगियार/ दूसरे लोग , विरोधी
हबीब/अपने ,प्रिय
सुरेश साहनी, कानपुर
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