हौसले देख आसमान नहीं।
इतनी कम भी मेरी उड़ान नहीं।।
कुछ ख़ुदा ही निगाहबान नही।
वरना इतना बड़ा जहान नहीं।।
क्या ज़रूरत मुझे वसीले की
है ख़ुदा का भी खानदान नहीं।।
उस के दैरोहरम बना डाले
है अज़ल से जो लामकान नहीं।।
खाक़ घबरायें उस के आने से
मौत है कोई इम्तेहान नहीं।।
अपनी हस्ती से प्यार है मुझको
ये सदाक़त कोई गुमान नहीं।।
वक़्त आने पे बोलना तय है
हूँ तो ख़ामोश बेजुबान नहीं।।
सुरेश साहनी , कानपुर
9451545132
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