देश को गृहयुद्ध में मत झोंकिये।

कम से कम नैतिक पतन तो रोकिये।।


सेकिये जमकर के अपनी रोटियां

नफरतों से दाल तो मत छौंकिये।।

हम अगर गुमराह हैं समझाइए

हम अगर भटके हमें भी टोकिये।।


पढ़ रहे हैं सब कि कल कुछ बन सके

इनके आगे ताल भी मत ठोंकिये।।

आज पद पर आप है कल ग़ैर थे

कल की आहट पर अभी मत चौंकिए।।

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