ये नॉन टेक्निकल लोग
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कल अमर उजाला द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में श्रोता के रूप में मैं भी आमंत्रित था। हाल में सबसे सबसे पीछे बैठकर शहर के उदीयमान राष्ट्रीय हास्य कवि अंशुमान दीक्षित और हास्य के प्रबल हस्ताक्षर और अंशुमान जी के अनुसार #प्रेमचतुर्दशी पर कवि सम्मेलन के संयोजक श्री Amit Omar के साथ कार्यक्रम का आनन्द लिया।इस कार्यक्रम में मेरी उपस्थिति में भीमकाय शम्भू शिखर जी लेकर अखिलेश द्विवेदी जैसे कृशकाय द्विज भी काव्यपाठ के लिए मंच पर आसीन होकर गौरवान्वित थे।
कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध शायर कलीम कैसर साहब कर रहे थे।कार्यक्रम अब पूरे शबाब पर था।अखिलेश द्विवेदी जी का काव्य पाठ समाप्त होते होते हाल में गर्मी आ गयी। मैं भी जलपान के लिए भवन के बाहर अपने वाहन के करीब आया।क्योंकि बनारसी चाय की दुकान वहाँ से खासा दूर है।
पर यह क्या ! मैंने चावी लगाई किन्तु गाड़ी का हैंडल नहीं खुला।मुझे लगा कि कहीं मैं किसी दूसरे की स्कूटी तो नहीं ट्राई कर रहा हूँ।मैंने एक बार आश्वस्ति के लिए अपनी गाड़ी को पुनः निहारा।यह मेरी स्कूटी ही थी।तब मुझे एहसास हुआ कि किसी सन्त पुरुष ने स्कूटी को साफ करने की कोशिश की होगी। और असफल रहने पर निर्विकार भाव से चल दिये होंगे। किंचित वे इस कार्य मे तकनीकी रूप से दक्ष नहीं रहे होंगे।मुझे एक बार तो अपने देश के तकनीकी पिछड़ेपन पर बड़ा क्षोभ हुआ, पर दूसरे ही क्षण अपने वाहन विहीन नहीं हो पाने की सुखानुभूति भी हुई।आख़िर एक वाहन निर्भर व्यक्ति आत्मनिर्भर मुलुक का साझीदार होने से बच गया और आधे घण्टे की मशक़्क़त के बाद असली वाहन मालिक की शरण मे यानी अपने आवास पर पहुंच चुका था।
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