उस पार अगर जीवन है तो
चलते हैं प्रभु का मन है तो...उस
हम किस से नेह जगाते हैं
जब नश्वर सारी बातें हैं
कच्चे घट सा यह तन है तो...उस
ये जीवन तब तक जीवन है
जब तक तन में स्पंदन है
यदि जीवन भी बंधन है तो...उस
सांसे कब साथ निभाती हैं
हाँ मृत्यु हमें कब भाती है
प्रियतम सा आलिंगन है तो...उस
ये काया कितनी जीर्ण हुयी
इसकी समयावधि पूर्ण हुयी
वस्त्रों का परिवर्तन है तो....
चलते हैं प्रभु का मन है तो
उस पार अगर जीवन है तो
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