उनसे कुछ मौजू -ए-पहल मिल जाय।

गो कि दुश्वारियों के हल मिल जाएँ।।

तुम मुझे इस तरह से मिल जाओ

जैसे शायर को इक गजल मिल जाय।।

मेरे  हरजाई मैं भी चाहूँगा

तुझको एकदिन मेरा बदल मिल जाय।।

सुरेश साहनी, अदीब

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