उनकी हस्ती पहाड़ जैसी है।

और फितरत कबाड़ जैसी है।।

काम चुल्लू में डूबने वाले

बात धरती पछाड़ जैसी है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है