मैं किसी धनवान का बेटा न था।

इस कदर फिर भी गया गुजरा न था।।


तेरा ग़म यादें तेरी औ दर्दे-दिल

मैं किसी सूरत कभी तन्हा न था।।


मुझको दुनिया की न थी परवाह पर

तुम बदल जाओगे ये सोचा न था।।


उनका गुस्सा देख कर हैरत हुयी

चाँद को जलते कभी देखा न था।।

  

फेर कर मुंह चल दिए थे किसलिए

दिल के बदले मैंने कुछ माँगा न था।।


प्यार में सब हारना भी जीत है

ये सबक स्कूल में सीखा न था।।

सुरेश साहनी, अदीब

कानपुर

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