चलो बाहर टहल कर देखते हैं।
ज़रा इक मन बदल कर देखते हैं।।
सुना मौसम गुलाबी हो गया है
चलो हम भी मचल कर देखते हैं।।
तुम्हारे प्यार में है दर्द पिन्हा
इसे पहलू बदल कर देखते हैं।।
तुम्हारा साथ पाकर लड़खड़ाए
तुम्हारे बिन सम्हल कर देखते हैं।।
मुहब्बत की डगर यूँ क्या बतायें
क़दम कुछ साथ चलकर देखते हैं।।
हमें शायद सरापा नूर कर दे
तेरे साँचे में ढल कर देखते हैं ।।
सुरेशसाहनी
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