कैसी हालत कर बैठे हैं।

खुद को मूरत कर बैठे हैं।।

नाते  रिश्ते    दुनियादारी

सब कुछ विस्मृत कर बैठे हैं।।

किस पड़ाव पर आ पहुंचे हम

गोया हिज़रत कर बैठे हैं।।

सुरेश साहनी

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