प्रजा प्रजा जब नहीं रहेगी
क्या होगा ऐसे दिन लाकर।
जब जनता सरकार बनेगी
कौन रहेगा किसका चाकर।।
ऐसे सपने दिखा दिखाकर
तुमने सपने ही लूटे हैं।
तुम्हें पता है ऐसे सारे -
के सारे सपने झूठे हैं।।
अपने के द्वारा अपनों पर
हुक्म चलाना कैसा होगा।
मज़दूरों का मजदूरों पर
शासन करना कैसा होगा।।
आगे चलकर फिर से शोषित
शोषक वाली स्थिति होगी।
फिर से लेबर अफसर नौकर-
मालिक वाली स्थिति होगी।।
वर्ग मिटेंगे वर्ग बनेंगे
द्वंद सनातन बना रहेगा।
मात्र समन्वय की स्थिति से
ताना बाना बना रहेगा ।।
इक साधारण सा किसान भी
सामन्ती मन हो सकता है।
और कोई राजा भी मन से
साधू सज्जन हो सकता है।।
Comments
Post a Comment