गांधी के गुजरात में टूटी उनकी मूर्ति।
बच्चे कितना ढोएंगे, परबाबा की कीर्ति।।
परबाबा की कीर्ति और फिर उनके सपने।
बांट रहे है देश आज उनके ही अपने।।
कह सुरेश कविराय चल रही ऐसी आंधी।
सपना हुआ सुराज रह गए बेबस गांधी।।
सुरेश साहनी
गांधी के गुजरात में टूटी उनकी मूर्ति।
बच्चे कितना ढोएंगे, परबाबा की कीर्ति।।
परबाबा की कीर्ति और फिर उनके सपने।
बांट रहे है देश आज उनके ही अपने।।
कह सुरेश कविराय चल रही ऐसी आंधी।
सपना हुआ सुराज रह गए बेबस गांधी।।
सुरेश साहनी
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