तुम्हें बातें बनाना आ गया है।

तुम्हें क्या क्या छुपाना आ गया है।।

बहुत खुश हूँ तेरी आवारगी से

तुम्हें खाना कमाना आ गया है।।

तुम्हारे ग़म शिकायत कर रहे हैं

तुम्हें भी मुस्कुराना आ गया है।।

हमें तुम याद आये ये बहुत है

भले तुमको भुलाना आ गया है।।

कि रिश्ते अहमियत खोने लगे है

नया कैसा ज़माना आ गया है।।

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