उसका दावा है प्यार है उसमें।

हुस्न जो बेशुमार है उसमें।।


इश्क़ कहता है रात जागे हो 

हुस्न बोला खुमार है उसमें।।


क्या बखाने हो अपनी दौलत को

हद से ज्यादा उधार है उसमें।।


ज़ेर जितना है हुस्न में यारब

उस से ज्यादा उतार है उसमें।।


कितने आशिक़ है उससे क्या मतलब

साहनी तो शुमार है उसमें।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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