सवाल पूछना जैसे कोई गुनाह हुआ।

जो डर रहा है भला कैसा  बादशाह हुआ।।

सुना था हमने मुहब्बत में लोग बनते हैं

हमारा दिल तो मुहब्बत में ही तबाह हुआ।।

अगरचे तुम न दिखे कैसे चाँद रात हुई

जहाँ न तुमसे मिले कैसा ईदगाह हुआ।।

गुरुरे-हुस्न में तोड़ें हैं जिसने लाखों दिल

हुआ उसी से हमें इश्क़ बेपनाह हुआ।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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