सबके अपने अपने सुख हैं।

सबके अपने अपने दुःख हैं।।

सुख की वजह तलाशी किसने

विला वजह के अपने दुःख हैं।।

रोया कौन किसी की खातिर

सबके हिस्से अपने दुःख हैं।।

जेब पेट घर सभी भरे हैं

फिर भी उनके अपने दुःख हैं।।

सुख दुःख इस पर भी है निर्भर

किनके कितने कितने दुःख हैं।।

इनको उनके दुःख से सुख है

दूजे का सुख अपने दुःख हैं।।

और कबीर जगा करता है

दुनिया के दुःख अपने दुःख हैं।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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