कितनी बार सल्तनत बदली
कितनी बार लुटा हूँ यारों।
मैँ दिल्ली का लाल किला अब
पहली बार बिका हूँ यारों।।
लाल किला होने से पहले
मै दिल्ली की मिट्टी ही था
दिल्ली के होने से पहले
मैं दिल्ली की धरती ही था
बहुत लड़ा हूँ नहीं थका था
लेकिन आज थका हूँ यारों।।
मरे हुए अंतर्मन वाले
नेताओं ने बहुत छला है
जनता को वादों से बढ़कर
शायद कुछ भी नही मिला है
ऐसे नेताओं से मिलकर
बेहद शर्मिंदा हूँ यारों।।
मैँ दिल्ली का लाल किला हूँ......
कल मेरी माता के बेटे
घर देहरी आंगन बेचेंगे
सरकारी सम्पति बेचेंगे
सड़कें स्टेशन बेचेंगे
देश मगर मत बिकने देना
यही दुआ करता हूँ यारों।।
मैं दिल्ली का लाल किला हूँ.........
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