अब के हालात तो न लिक्खूंगा।
मैं सियासात तो न लिक्खूंगा।।
लाख सरकार ये निकम्मी हो
मैं यही बात तो न लिक्खूंगा।।
बात होती है जब कराची की
यूपी गुजरात तो न लिक्खूंगा।।
उसको महफ़िल में भर नज़र देखा
ये मुलाकात तो न लिक्खूंगा।।
तुमको है शौक तुम ज़हर पी लो
खुद को सुकरात तो न लिक्खूंगा।।
आसमानों से आग बरसी है
इसको बरसात तो न लिक्खूंगा।।
मेरे उसके निजी मसाइल हैं
इश्तेहारात तो न लिक्खूंगा।।
#सुरेशसाहनी
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