गो तुम्हें हर्फे वफ़ा याद नहीं।
क्या तुम्हें साथ मेरा याद नहीं।।
बात के अपनी धनी थे जो तुम
क्या तुम्हें अपनी अना याद नहीं।।
जिन दुआओं में हमें मांगा था
क्या तुम्हें कोई दुआ याद नहीं।।
मेरी हर बात बुरी है माना
क्यों तुम्हें अपनी ख़ता याद नहीं।।
तुम भले कितने बड़े हो जाओ
पर न कहना कि ख़ुदा याद नहीं।।
Suresh sahani kanpur
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