ऐब मेरे कोई गिनाए मुझे।
आईने तो न रास आये मुझे।।
ज़िन्दगी कैफ़ से न भर जाए
कोई इतना भी ना सताए मुझे।।
मैं सही हूँ तो कोई बात नहीं
पर गलत हूँ तो वो बताए मुझे।।
याद रखने की ज़हमतें छूटे
भूलता है तो भूल जाये मुझे।।
उसकी ज़न्नत मुझे कुबूल नहीं
मेरी दुनिया मे छोड़ जाये मुझे।।
मैं कोई मीर कोई दाग़ नहीं
किसने बोला वो गुनगुनाये मुझे।।
पहले मंथन करे सवालों पर
फिर हलाहल कोई पिलाये मुझे।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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