छुपे चाँद रातों में फैले उजाले।
इन्हीं से छिने मुफ़लिसों के निवाले।।
इन्हीं में कहीं आदमियत दफ़न है
ये मंदिर ये मस्जिद ये गिरजे शिवाले।।
कहीं एक कोने में बच ना गयी हो
कोई आके एहसास दिल से निकाले।।
कहे द्रौपदी कृष्ण क्या क्या करेंगा
सुदामा को देखे कि तुमको सम्हाले।।
करो कर्म कुछ है यही धर्म प्यारे
नहीं कुछ मिलेगा यहाँ बैठे ठाले।।
#सुरेशसाहनी
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