कल एक संस्थान के हिंदी अधिकारी जी ने मुझे फोन पर आमंत्रित करते कहा कि साहनी सर!इस बार हम आपके साथ हिंदी डे सेलिब्रेट करना चाहते हैं।क्या आप चौदह सितम्बर को उपलब्ध हो सकते हैं?
मैंने समय पूछा तो उन्होंने ऑफ्टर नून बताया।
मैंने उन्हें अपनी सहमति जताई। उन्होंने तुरंत गर्मजोशी से कहा ओह थैंक्स! आई विल वेलकम सर!!
और सच बता रहे हैं भैया। हम इतना ग्लैड हुये कि अपने नाम के आगे पोएट भी एड कर लिया। वो अलग बात है घरवाली कहा करती है कि ई कविताई वगैरह छोड़ के कउनो ढंग का काम पकड़िये।
मुला क्या करें छुटती नहीं है काफ़िर मुँह से लगी हुई।।
व्यंग
27/08/22
Comments
Post a Comment