कुछ पूनम के चाँद हो गए

कुछ जुगनू भी रवि! हो गए।

मेरा लिक्खा हुआ चुराकर

जाने कितने कवि! हो गए।।SS

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है