मौत पर सन्ताप कितना
है कि इस पर लाभ कितना
हानि किस हद तक हुई है
दर्द का परिमाप कितना
मृत्यु अंतिम सत्य है पर
मृत्यु का नगदीकरण भी
सत्य है अब आर्थिक -
व्यवसाय है जीवन-मरण भी
आंसुओं वाले फुटेज भी
मृत्यु का लाइव प्रसारण
बिक रहे अधिकार सारे
कुछ नहीं होता अकारण
जब किराये पर रुदाली
भीड़ तक मिलने लगी है
भावनाएं आज अंतिम
स्वांस तब गिनने लगी है।।
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