सत्य छुपाकर कविता लिख।

झूठ सजाकर कविता लिख।।

लिखना ग़र बीमारी है

शौक बताकर कविता लिख।।


कौन मरा है भूखे से

कौन मरा लाचारी से

कौन कर्ज में डूब गया

कौन मरा बेगारी से

तू सबको नाकारा कह

चोर बताकर कविता लिख।।


जिस जिस की सरकार बने

उनको अच्छा कहता चल

सत्ता के विपरीत न चल

उस धारा में बहता चल

अन्तरात्मा लाख कहे

आँख चुराकर कविता लिख।।


जो सत्ता में आता है

मद-अँधा हो जाता है

जन को दुर्बल करता है

खुद मोटा हो जाता है

तू भी निज नैतिकता का

मोल लगाकर कविता लिख।।

Suresh sahani

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