आपसे जब मुलाकात के 

कुछ बहाने मुझे मिल गये।

जैसे दौलत ज़हां की मिली

 सब ख़ज़ाने मुझे मिल गये।।


आरज़ू कसमसाने लगी

ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी

जा चुके थे कभी हाथ से 

वो ज़माने मुझे मिल गये।।


लामकां ज़िन्दगी थी मेरी

दिल की दुनिया भी वीरान थी

आपका आस्ताना मिला

सौ ठिकाने मुझे मिल गये।।


रंज़ो ग़म ज़िन्दगी से गये

सूनापन ज़िन्दगी से गया

आप ने जब से आवाज़ दी 

सौ तराने मुझे मिल गये।।


इसके पहले तो हालत ये थी

होश इतना भी मुझको न था

कब अलाने गए छोड़कर

कब फलाने मुझे मिल गये।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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