तू शिकायत  कर गया  मुझसे न शिकवा हो सका।

मैं तेरा तो हो गया पर तू न मेरा हो सका।।

दिल की बातों को न था होठों पे लाने का चलन

तू न आंखे पढ़ सका मुझसे न ख़ुतबा हो सका।।

इश्क़ मेरा आजकल के इश्क़ के जैसा न था

हुश्न के बाज़ार में दिल से न सौदा हो सका।।

एक ही मन्ज़िल के राही अजनबी से यूँ रहे

तू न ऐसा बन सका मैं भी न वैसा हो सका।।

ख्वाब में मिलने की चाहत नींद में खोने का डर

इस अधूरे इश्क़ का किस्सा न पूरा हो सका।।

#सुरेशसाहनी

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