मुस्कुराहट, तबस्सुम, हँसी, कहकहे..

उम्र के हाथ से   छूटते ही रहे...

उम्र भर हमने चाहा कि हम कुछ कहें

कुछ  अना कुछ झिझक में रहे अनकहे...

सुरेश साहनी, कानपुर

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