छंद बद्धित 

शुद्ध तत्सम क्लिष्ट 

शब्दों से अलंकृत

रस पगी कुल व्याकरणमय

लिख दिया 

कविता कहाँ है।

नापकर अच्छे बहर में

फायतुल फैलान मतला

पेश मतला और मकता

है रदीफो-काफिया भी

अदब के लहजे से देखो

कील काँटे सब सही है

हाँ मग़र जज़्बात गुम हैं

कोई गहराई नहीं है

आप कहते हो नज़्म है

नज़्म या कविता कहाँ है!!!

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है