बिगड़ा है बर्बाद नही है।
घर तो हैं, आबाद नही है।।
सोने चांदी की दुनिया में
केवल लब आज़ाद नही है।।
दिल से दिल की बात करा दे
वो तकनीक इज़ाद नही है।।
मेरे दिल में दो रह जाएँ
इतना भी इफराद नही है।।
हम भी अल्ला के बन्दे है
तू ही अल्लाज़ाद नही है।।
मन मेरा मजबूत है लेकिन
तन मेरा फौलाद नही है।।
उसके आगे क्या हम रोते
वो सुनता फरियाद नही है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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