माना उतने भले नहीं थे।

पर दिल से हम बुरे नहीं थे।।

तुम्हें चाहना स्वाभाविक था

वैसे हम मनचले नहीं थे।।

कैसे तुम तक पहुंच न पाए

गीत मेरे अनसुने नहीं थे।।

इक दूजे को समझ न पाते

इतने भी फासले नहीं थे।।

साथ निभाते क्या जीवन भर  

शायद  दिल ही मिले नहीं थे।।

दुनिया से टकराते कैसे

दोनों के हौसले नहीं थे।।

कुछ तुममे भी हिम्मत कम थी

कुछ हम भी सिरफिरे नहीं थे।।


सुरेशसाहनी, कानपुर

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