यार हम तुम अलग हुए क्यूँकर।

हम जुड़े थे तो इक कसम लेकर।।

तुम हमे याद अब भी आते हो

रात दिन सुबह शाम रह रह कर।।

दिन का क्या है गुजर ही जाता है

रात कटती हैं करवटें लेकर।।

नींद में भी सफर में रहता हूँ

तेरे ख्वाबों का कारवां लेकर।।

आज भी तेरा मुंतज़िर हूँ मैं

देखता हूँ  मैं तेरी राहगुजर।।

लाख जिन्दा हूँ मैं जुदा होके

ये जुदाई है मौत से बदतर।।

यार हमतुम अलग हुए क्यूँकर।।

Suresh Sahani Kanpur

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