व्यंग्य
इस देश में संस्कार नाम का चीज ही नहीं बचा है।इतने बड़े संत पर अंगुली उठा रहे हैं,जिनके लाखों अनुयायी हैं।जिनके बड़े बड़े नेता भक्त हैं।जिनके पीछे हज़ारो गाड़ियां चलती हैं। एक मुर्ख सज्जन कह रहे थे,बाबा कपड़े उतार के मसाज कराते थे।" अब उन्हें कौन समझाए कि कौन कपड़ा पहन के बॉडी मसाज कराता है।
लोग कह रहे हैं बाबा ने अपराध किया।बाबा कह रहे हैं कि उन्होंने अपराध नहीं किया। उनके भक्त कह रहे हैं बाबा निर्दोष हैं।आप एक आदमी की सही मानोगे या लाखो आदमी की।
हमारे देश के साधू नग्न रहकर भी माया की चादर ओढ़े रहते हैं। यह उनके संस्कार हैं।मजाल है जो कानून की माया उन्हें स्पर्श भी कर जाये।बकौल भक्त यदि ऐसे दिव्य साधू महात्मा जेल जाते भी हैं तो यह उनकी लीला का अंश होता है।
भला हो श्री श्री 1008 उदासीन स्वामी साक्षी जी महाराज का कि वे आशाराम से लेकर झांसाराम बाबा तक सबके पक्ष में खड़े रहते हैं।
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