प्रिय ऐसा क्या लिख दूँ जिससे
तुम फिर मुझसे रूठ न पाओ।।
लिख दूँ श्याम कहानी जिसमे
तुम राधा बन निकल न पाओ।।
क्या लिख दूँ काले केशों पर
शरमा जाएं नैन शराबी
रक्तिम अधरों पर क्या कह दूँ
दहक उठे ये गाल गुलाबी
अपने मध्य प्रिये क्या लिख दुं
तुम मुझसे फिर दूर न जाओ।।
सागर से लेकर मरुथल तक
सबने प्यासा ही लौटाया
आज प्रेम के नन्दनवन में
मिली प्रतिक्षाओं को छाया
क्या लिख दूँ जो युगो युगों तक
साथ मेरे तुम भी दोहराओ।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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