हर बार तो हम चुप रहते हैं

हर बार छले हम जाते हैं।

वो हमसे गले भी मिलते हैं

हमको ही जिबह कर जाते हैं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है