आप का प्यार मौसमी क्यों है।
आपका रुख सियासती क्यों है।।
जबकि चेहरे बुझे बुझे से हैं
आइना इतना आतिशी क्यों है।।
क्यों उछलता नहीं सवाल कोई
पत्थरों की यहाँ कमी क्यों है।।
आग हर दिल में है ये मान लिया
आग दिल में दबी दबी क्यों हैं।।
क़त्ल से इंकलाब आते हैं
फिर यहां सिर्फ़ मातमी क्यों है।।
एक दिन ये सवाल उट्ठेगा
घर तुम्हारा ही आख़री क्यों है।।
सुरेशसाहनी, अदीब , कानपुर
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