वो क्या गया कि रौनके-आराईयां गयीं।

खुशियाँ न जाने कौन से अंगनाईयां गयीं।।


एहसानमन्द हूँ कि वो कुछ ग़म तो दे गया

ग़म और दर्द साथ हैं तन्हाईयाँ गयीं।।


अब मेरा हाल आके कोई पूछता नहीं

दिल को सुकून है कि मसीहाईयाँ गयीं।।


हालात-ए-ग़म का शुक्रिया कैसे अदा करें

दुनिया की उलझनें गयीं रुसवाईयाँ गयीं।।


मेरी शिफ़ा का राज मेरे चारागर से पूछ

ऐंठन के साथ साथ ही अंगड़ाईयाँ  गयीं।।


Suresh sahani, कानपुर

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