जिनकी यादों को सिरहाने  रखते हैं।

अक्सर वो ही लोग भुलाने लगते हैं।।


ज़ख़्म जिगर के भरना  मुश्किल है कितना

कम होने में दर्द ज़माने लगते हैं।।


नींद वहीं गायब हो जाती है अक्सर

जब ख़्वाबों में उनको पाने लगते हैं।।


राज अयाँ हो जाते हैं वो शह करके  

अक्सर जिनको लोग छुपाने लगते हैं।।


इश्क़ वहाँ  लगती है इक नेमत लगने

जब ज़ख्मों को लोग सजाने लगते हैं।।

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