साहिल पे सर पटक के समंदर चला गया। 

दर से कोई फ़क़ीर तड़प कर चला गया।।

अश्क़ों में किसके डूब के खारी हुआ अदीब

चश्मा कोई मिठास का अम्बर चला गया।। 

जब साहनी गया तो कई लोग रो पड़े

कुछ ने कहा कि ठीक हुआ गर चला गया।।

ग़ालिब ने जाके पूछ लिया मीरो-दाग़ से

ये कौन मेरे कद के बराबर चला गया।।

महफ़िल से उठ के कौन गया देखता है कौन

कल कुछ कहेंगे चढ़ गई थी घर चला गया।।

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