इधर बरसात अच्छी हो रही है।

कई दिन से बैठकी हो रही है।।

तलब है चाय की पर दूध कम है

उधर हलकान बच्ची  हो रही है।।

कहाँ बरसात में कुछ काम होगा

दिहाड़ी रोज सस्ती हो रही है।।

वो बनिया आज चिढ़ कर कह रहा था

कई दिन से उधारी हो रही है।।

उधर आंखों में सबकी जानवर हैं

इधर बिटिया सयानी हो रही है।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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