धूप  ज्यादा है  रोशनी कम है।

तम के सूरज की ज़िंदगी कम है।।

मयकदे , महफिलें हैं साकी भी

सिर्फ़ प्यासों  में तिश्नगी कम है।।

रात का खौफ़ क्या सताएगा

हौसलों से तो तीरगी कम है।।

दुश्मनी है तो है बहुत दो पल

दोस्ती को तो ज़िन्दगी कम है।।

उसकी नज़रों ने ज़िन्दगी दे दी

उसको इस बात की खुशी कम है।।

उस की आँखों में झाँक कर देखो

अजनबी होके अज़नबी कम है।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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