भटक रहा हूँ ख्यालों के कारवां में मैं।

क्या उम्र सारी गुजारूँगा इम्तेहां में मैं।।

हमारी दुनिया अलग है ये सोचने वालों

कहीं भी जाऊँ रहूँगा इसी ज़हाँ में मैं।।

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