हम जिये ही कहाँ आपकी याद में।
ज़िन्दगी थी कहाँ आपकी याद में।।
तुम उधर चल दिये हम इधर उठ लिये
फिर रवानी कहाँ आपकी याद में।।
आप के साथ यौवन था उल्लास था
फिर जवानी कहाँ आपकी याद में।।
आसुओं में नहाई ग़ज़ल हो गई
शादमानी कहाँ आपकी याद में।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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