जीवन के लंबे रास्तों पर

चलते चलते क्या कभी 

उस थकन को महसूस किया है

जब कविताएं भी 

दम तोड़ती हुई लगने लगती हैं

यह किसी उबाऊ रास्ते पर

चलते चलते होने वाली

हाथ पैरों की टूटन से भी

कहीं ज्यादा खतरनाक है

कविता का आईसीयू नहीं होता.....


सुरेश साहनी, कानपुर

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